
Shyam Mandir Chulkana dham: खाटू श्याम और चुलकाना धाम का बड़ा गहरा सम्बन्ध है. दोनों ही पवित्र और सिद्ध स्थान है. देश के सूदूर इलाकों से लाखों भक्त यहाँ हर दिन हाजिरी लगाने आते हैं. धार्मिक पुस्तकों में इस स्थान को कलियुग के सर्वोत्तम तीर्थ स्थान की संज्ञा दी गयी है. मान्यता है यहाँ भगवान श्री कृष्ण अपने कलियुग अवतार में यहाँ विराजमान हैं. कहते हैं जो भी भक्त सच्ची आस्था लेकर भगवान कृष्ण के खाटू श्याम या बाबा श्याम रूप के दर्शन कर लेता है उसे जीवन में फिर कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता. ऐसे भक्त शत्रु को अपना मित्र बना लेते हैं, जो मित्र नहीं बन पाते वो बाबा श्याम के भक्तों के सामने घुटने टेक देते हैं. तभी बाबा श्याम के भक्त उन्हें ‘हारे का सहारा’ कहते हैं.
महाभारत के बर्बरीक से है दोनों धामों का सम्बन्ध
राजस्थान के सीकर जिले में भगवान खाटू श्याम का चमत्कारिक मंदिर है जबकि हरियाणा राज्य के पानीपत जिले के समालखा कस्बे से कुछ दूरी पर रहस्यमयी दिव्य स्थान चुलकाना धाम है. दोनों ही स्थान का समबन्ध महाभारत के महावीर योद्धा बर्बरीक से जुड़ा हुआ है.कहते हैं चुलकाना धाम वो स्थान है जहाँ भीम पौत्र और घटोत्कच पुत्र बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपने शीश का दान दिया था जबकि राजस्थान का सीकर वो स्थान है जहाँ उनका शीश चुलकाना गाँव से रूपवती नदी होते खाटू गाँव में आ गया था. कहते हैं भगवान कृष्ण ने स्वयं बर्बरीक के शीश को जल में प्रवाहित किया था जिसके बाद ही यह शीश बहते बहते खाटू गाँव की जमीन में समा गया और एक कुंड के जरिये खाटू गाँव के ग्रामीणों को मिला. खाटू गाँव में मिलने के कारण ही बाबा श्याम खाटू श्याम कहलाये.
चुलकाना धाम में हुआ बाबा श्याम का जन्म
राजस्थान (Rajasthan) के सीकर जिले के खाटू गाँव की तरह ही चुलकाना धाम भी विश्वप्रसिद्द है. हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा कस्बे के निकट चुलकाना धाम है. ये धाम बाबा श्याम की महिमा को समेटे हुए है. कहते हैं यही वो स्थान है जहाँ सबसे पहले संसार ने बाबा श्याम की महिमा जो जाना. यही वो स्थान है जहाँ की भगवान् कृष्ण की परीक्षा पास करके बर्बरीक बाबा श्याम बने और फिर खाटू श्याम बने. भगवान कृष्ण (Bhagwana krishan) ने बर्बरीक को कलियुग में अपने एक नाम श्याम से पूजे जाने का यहीं आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम ‘हारे का सहारा बनोगे’.यही वो स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा ली थी और उन्हें अमरता का वरदान दिया. यहाँ चुलकाना धाम मंदिर में बाबा श्याम बर्बरीक के धर के रूप में स्थापित हैं जबकि खाटू श्याम में बर्बरीक का शीश है.
बर्बरीक महाभारत (Mahabharat) के महान योद्धा थे. भगवान कृष्ण उनकी शक्ति को जानते थे, उन्हें पता था कि बर्बरीक को भगवान शिव से तीन ऐसे बाण मिले हैं जिनसे वो युद्ध में किसी भी समूह को जब चाहते तब जीता सकते थे. बर्बरीक महान तपस्वी थे,उन्होंने अपनी माँ अहिलावती से वादा किया था कि वो युद्ध में उसी की तरफ लड़ेंगे जो हारने वाला होगा.यही चिंता भगवान कृष्ण को युद्ध के आरंभ में सताने लगी थी. तभी उन्होंने अपनी कूटनीति से बर्बरीक की परीक्षा ली और ब्राह्मण भेष में उनसे उनका शीश मांग लिया.
अधर्म पर धर्म की जीत हो और महाभारत युद्ध (Mahabharat) का कोई सार्थक निष्कर्ष निकल सके इसके लिए बर्बरीक को भगवान कृष्ण ने युद्ध में जाने से रोक लिया. एकादशी के दिन बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपने शीश का दान किया और इसी दिन भगवान कृष्ण (Bhagwan krishna) ने बर्बरीक को बाबा श्याम नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया. कहते हैं तब से यहाँ हर एकादशी के दिन बाबा श्याम (baba shyam) के नाम से विशाल मेला लगता है.भक्त दूर दूर से बाबा श्याम को मोर पंख और निशान भेंट करने चुलकाना धाम आते हैं और बाबा श्याम की महिमा का गुणगान करते हैं. बाबा श्याम खाटू श्याम के नाम से भी विश्वविख्यात हैं इसलिए खाटू श्याम के भक्त चुलकाना धाम बाबा श्याम के दर्शन करने जरुर आते हैं.