Chulkana Dham Mahima: चुलकाना धाम, भाग्यशाली ही जान पाते हैं बाबा श्याम की ये महिमा

Chulkana Dham Mahima: हर तरफ बस अँधेरा ही अँधेरा है बाबा श्याम सहारा बस तेरा है. तू ‘हारे का सहारा’ है ,तेरी शरण में जीवन ये मेरा है. बड़े भाग्यशाली हैं वो मनुष्य जिन्हें चुलकाना धाम आने का सौभाग्य मिलता है; ऐसे भक्तों का जीवन इसी जन्म में धन्य हो जाता है.बाबा श्याम अपने भक्तों को कभी हारने नहीं देते,वो उनकी हर मुश्किल को आसान करते हैं,ठीक वैसे ही जैसे महाभारत काल में बर्बरीक ने भगवान कृष्ण की दुविधा का समाधान किया था और अधर्म पर धर्म की विजय को सुनिश्चित किया था, बाबा श्याम ही थें जिन्होंने महाभारत काल में बर्बरीक के रूप में अपना शीश काट कर त्रिभुवन के स्वामी भगवान कृष्ण को भेंट किया था,कहते हैं बर्बरीक के पास आदि शक्ति से मिली ऐसी शक्तियां थीं जिनके बल पर वो जब चाहें महाभारत के युद्ध को समाप्त कर देते, जब चाहे जिसे युद्ध में विजय श्री दिला देते, उनसे बलशाली उस युग में भगवान कृष्ण के बाद कोई न था, जिनकी शक्ति और करुणा से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने माँ यशोदा से मिले श्याम नाम से उन्हें कीर्तिमान होने का वरदान दिया और कहा कि कलियुग में तुम में मेरी सारी शक्तियां समाहित होंगी, ऐसे हैं बाबा श्याम,बड़े कृपालु,बड़े दयालु, महाभारत काल में भगवान कृष्ण उनकी महानता से ऐसे अभिभूत हुए, उनके तप,त्याग को देखकर उन्हें नरों में नर श्रेष्ठ कहा,कहते हैं बाबा श्याम की महिमा ऐसी है कि कोई भी उनके द्वारे से कभी खाली हाथ नहीं जाता, कहते हैं जो कोई भक्त विशेषकर एकादशी और द्वादशी के दिन चुलकाना धाम आता है और बाबा श्याम को मोर पंख और निशान अर्पित करता है उससे बाबा श्याम विशेष प्रसन्न होते हैं,ऐसे भक्त का साथ बाबा श्याम कभी नहीं छोड़ते,बाबा श्याम की कृपा से कईयों की डूबती नैया को पार मिला है,आप कहाँ हैं, किसे ढूंढ रहे हैं ? कलियुग में सर्वोत्तम तीर्थ स्थान बाबा श्याम का धाम है, हरियाणा के पानीपत जिले से समालखा कस्बे से कुछ दूरी पर है ये पवित्र धाम, यहाँ मंदिर में श्याम कुंड हैं जिसमें स्नान करने की बड़ी महिमा है, कहते हैं जो मनुष्य इस कुंड में स्नान करता है वो शारीरिक व्याधियों से मुक्त हो जाता है, अआप सभी आयें, सपरिवार, बाबा श्याम के दर्शन करें, जो हारे के सहारे हैं,वो आपके भी दुःख जरुर दूर करेंगे, बस देर है तो उनके पास आने की, उन्हें मनाने की..तो चलें आयें चुलकाना धाम,जहाँ दिया था शीश का दान, जिसका संसार कर रहा है गुणगाण..

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