
Khatu Shyam Vardan: आजकल बाबा खाटू श्याम के दर्शन के लिए हरियाणा के चुलकना में स्थित मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती हैं, और हर कोई बाबा की कृपा प्राप्त करना चाहता है. भगवान खाटू श्याम कलयुग में पूजे जाने वाले ऐसे देवता हैं, जिनकी कृपा से व्यक्ति के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं और सफलता के मार्ग खुल जाते हैं. बाबा खाटू श्याम को हारे का सहारा और तीन बाणों वाले भी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें ‘तीन बाण धारी’ क्यों कहा जाता है और उनका पांडवों से क्या संबंध है?
पांडवों से खाटू श्याम का संबंध –
महाभारत की कथा के अनुसार, खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था, और वह पांडवों के भाई भीम के पोते, यानी घटोत्कच के बेटे थे. भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से उन्हें खाटू श्याम नाम प्राप्त हुआ, और कलयुग में उनका पूजन श्रीकृष्ण के रूप में ही किया जाता है.
“तीन बाण धारी” क्यों कहा जाता है? –
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बर्बरीक को यह वरदान प्राप्त था कि वह जिस पक्ष की ओर से युद्ध करेंगे, उसी की विजय सुनिश्चित होगी. वह महाभारत के युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने के लिए जा रहे थे और अपनी माँ से वचन लिया था कि वह युद्ध में जो पक्ष कमजोर होगा या हार रहा होगा, उसका साथ देंगे. बर्बरीक के पास तीन विशेष अभेद्य बाण थे, जो पूरी सेना का विनाश करने के बाद फिर से उनके तरकश में लौट सकते थे. ये बाण उन्हें भगवान शिव से वरदान स्वरूप प्राप्त हुए थे, जिसके कारण उन्हें “तीन बाण धारी” कहा जाता है. बर्बरीक, यानी खाटू श्याम जी, अपने इन तीन बाणों की मदद से कौरवों को युद्ध में विजय दिला सकते थे, क्योंकि कौरवों का पक्ष उस समय हार रहा था.
जब भगवान श्रीकृष्ण को यह पता चला कि बर्बरीक महाभारत के युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देने के लिए आ रहे हैं, तो उन्होंने छल से बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया. बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से वचन लेते हुए अपना शीश दान कर दिया, इसलिए उन्हें “शीश दानी” भी कहा जाता है. बर्बरीक की भक्ति और समर्पण को देखकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि वे कलयुग में मेरे नाम से पूजे जाएंगे और मेरे रूप में प्रतिष्ठित होंगे. इसी कारण से बर्बरीक को “खाटू श्याम” के नाम से जाना जाता है.